धनखड़ ने शीतकालीन सत्र में साढ़े चार घंटे तक की बोलचाल

तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने शुक्रवार को कहा कि उपराष्ट्रपति ने शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही में लगभग 30 प्रतिशत समय तक भाषण दिया। इस बयान के माध्यम से ओ'ब्रायन ने उच्च सदन में सभापति की कार्यशैली पर सवाल उठाए और उन्हें आलोचना का निशाना बनाया।

Dec 20, 2024 - 13:47
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धनखड़ ने शीतकालीन सत्र में साढ़े चार घंटे तक की बोलचाल

तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। टीएमसी संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने शुक्रवार को कहा कि उपराष्ट्रपति ने शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही में लगभग 30 प्रतिशत समय तक भाषण दिया। इस बयान के माध्यम से ओ'ब्रायन ने उच्च सदन में सभापति की कार्यशैली पर सवाल उठाए और उन्हें आलोचना का निशाना बनाया।

43 घंटे में से 4.5 घंटे बोले उपराष्ट्रपति, कार्यवाही पर आरोप


डेरेक ओ'ब्रायन ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि राज्यसभा का शीतकालीन सत्र 18 दिसंबर तक कुल 43 घंटे चला था, और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसमें से लगभग 4.5 घंटे तक अपना भाषण दिया। ओ'ब्रायन का कहना था कि यह समय राज्यसभा की कार्यवाही के लगभग 30 प्रतिशत के बराबर है, जो काफी अधिक है।

संसदीय कार्यवाही के समय का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं


इस विवाद के बीच, यह भी बताया गया कि राज्यसभा के सभापति या सदस्यों द्वारा बोले गए समय का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या यह आंकड़ा सही है और क्या इससे पहले कभी इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है।

धनखड़ की भूमिका पर विपक्षी दलों की बढ़ती आलोचना


यह आरोप तब आया है जब विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति पर एकतरफा फैसले लेने और विपक्षी नेताओं को बोलने का पर्याप्त मौका न देने का आरोप लगाया है। हाल ही में विपक्षी दलों द्वारा यह भी कहा गया कि उपराष्ट्रपति उच्च सदन की कार्यवाही को पक्षपाती तरीके से चलाते हैं, जिससे विपक्ष को अपनी बात रखने का पर्याप्त समय नहीं मिलता।

ओ'ब्रायन ने शीतकालीन सत्र की कार्यवाही पर उठाए सवाल


टीएमसी नेता ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि इस तरह के रवैये से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संसद की कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है। उनका कहना था कि अगर राज्यसभा के सभापति खुद इतनी लंबी अवधि तक बोलते रहें, तो फिर विपक्षी नेताओं को अपनी बात रखने का अवसर कैसे मिलेगा?

राज्यसभा की कार्यवाही में क्या हो रहा है?


विपक्षी दलों के आरोपों के बीच, शीतकालीन सत्र के अंतिम दिनों में राज्यसभा की कार्यवाही पर निगाहें लगी हैं। विपक्षी दल यह चाहते हैं कि सभापति अपनी भूमिका को निष्पक्ष रूप से निभाए और हर सदस्य को अपनी बात रखने का समान अवसर प्रदान करे।

राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की भूमिका पर उठाए गए सवालों ने इस समय संसद के मानसून सत्र की गरमाती बहस को और तेज कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली में यह सवाल महत्वपूर्ण बन गया है, और इस पर जल्द ही ध्यान देने की आवश्यकता है।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.