दिल्ली में 1,200 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, पीएम मोदी ने और बसों की शुरुआत की दी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में छात्रों के साथ संवाद करते हुए केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के बारे में जानकारी दी। यह चर्चा स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया।

नई दिल्ली, 23 जनवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में छात्रों के साथ संवाद करते हुए केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के बारे में जानकारी दी। यह चर्चा स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान दिल्ली में पर्यावरण सुधार के लिए केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं पर बात की। उन्होंने बताया कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के व्यापक प्रयासों के तहत राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार ने 1,200 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की शुरुआत की है। यह कदम स्वच्छ परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है और दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में और भी इलेक्ट्रिक बसों को दिल्ली की सड़कों पर उतारा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक और महत्वपूर्ण पहल का जिक्र किया, जो छतों पर सौर पैनलों की स्थापना से संबंधित है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 'पीएम सूर्यगढ़ योजना' के तहत घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने की योजना को बढ़ावा दिया है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे न केवल बिजली बिलों में कमी आएगी बल्कि इससे प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने बताया कि इन सौर पैनलों से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल ई-वाहनों को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से इस बात पर भी जोर दिया कि घरों पर उत्पादित किसी भी अतिरिक्त बिजली को सरकार को बेचा जा सकता है, जिसके बदले में मौद्रिक मुआवजा प्रदान किया जाएगा। यह कदम नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होगा। प्रधानमंत्री ने इस दौरान छात्रों से यह भी पूछा कि वे सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायक नारों के बारे में क्या सोचते हैं। जब एक छात्रा से यह सवाल किया गया, तो उसने बोस का प्रसिद्ध नारा "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा" का उल्लेख किया और कहा कि यह नारा आज भी उन्हें प्रेरित करता है, विशेषकर जब वह देश की सेवा में योगदान देने का विचार करती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवाद के दौरान छात्रों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया और उन्हें यह समझाया कि एक सामूहिक प्रयास से ही हम एक स्थायी और स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन में छोटे-छोटे बदलाव कर पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दे।
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई गणमान्य व्यक्तियों ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद भवन में आयोजित हुआ, जहां स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता को याद करते हुए उनके योगदान पर चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई यह टिप्पणी और उनके द्वारा उठाए गए कदम पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए केंद्र सरकार की गंभीरता को दर्शाते हैं। इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत और सौर पैनल योजनाओं के जरिए केंद्र सरकार दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने और कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए ठोस कदम उठा रही है, जो अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।
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