भारत में HMPV संक्रमण के मामले बढ़े, सरकार सतर्क

भारत में HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) संक्रमण के सात मामले सामने आ चुके हैं। इस वायरस के मामलों ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है, खासकर जब यह संक्रमण बच्चों में तेजी से फैल रहा है। बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में HMPV के मामलों का पता चला है, और अब महाराष्ट्र के नागपुर में भी इस वायरस की एंट्री हो चुकी है।

Jan 7, 2025 - 12:16
Jan 7, 2025 - 12:34
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भारत में HMPV संक्रमण के मामले बढ़े, सरकार सतर्क
नई दिल्ली/मुंबई/चेन्नई,07 जनवरी: भारत में HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) संक्रमण के सात मामले सामने आ चुके हैं। इस वायरस के मामलों ने स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है, खासकर जब यह संक्रमण बच्चों में तेजी से फैल रहा है। बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में HMPV के मामलों का पता चला है, और अब महाराष्ट्र के नागपुर में भी इस वायरस की एंट्री हो चुकी है।

नागपुर में पहले मामले की पुष्टि

नागपुर में 3 जनवरी को एक निजी अस्पताल में दो बच्चों की HMPV टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें से एक सात साल का बच्चा और एक 14 साल की बच्ची शामिल हैं। दोनों बच्चों में खांसी और बुखार के लक्षण थे। उन्हें रामदासपेठ स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था। दोनों की हालत स्थिर है, और डॉक्टरों ने उन्हें उचित देखभाल प्रदान की है।

देशभर में कुल सात मामले

अब तक देश में HMPV के कुल सात मामले सामने आ चुके हैं। बेंगलुरु में दो, अहमदाबाद में एक, चेन्नई में दो और अब नागपुर में दो मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इसके अलावा, तमिलनाडु में भी दो सक्रिय मामले सामने आए हैं, जिनकी पुष्टि राज्य की स्वास्थ्य सचिव सुप्रिया साहू ने की। उन्होंने बताया कि दोनों बच्चों की स्थिति स्थिर है और HMPV संक्रमण सामान्यत: लक्षणात्मक देखभाल से ठीक हो जाता है।

स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट मोड

महाराष्ट्र सरकार का स्वास्थ्य विभाग इस वायरस को लेकर अलर्ट मोड पर है। सरकार ने खांसी, बुखार और SARI (सीरियस एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, और जल्द ही इस वायरस से संबंधित गाइडलाइन्स जारी की जाएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का आश्वासन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने HMPV के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि यह वायरस नया नहीं है। इसकी पहचान पहली बार 2001 में हुई थी और यह वर्षों से दुनिया भर में फैल रहा है। नड्डा ने यह भी कहा कि भारत सरकार WHO द्वारा स्थिति की निगरानी कर रही है और जल्द ही एक रिपोर्ट प्राप्त की जाएगी। उन्होंने लोगों को यह आश्वासन दिया कि वर्तमान में COVID-19 जैसे किसी नए प्रकोप का खतरा नहीं है।

चीन के प्रकोप से कोई संबंध नहीं
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने स्पष्ट किया कि HMPV का चीन में फैल रहे COVID-19 प्रकोप से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वायरस के गंभीर प्रभाव विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों पर हो सकते हैं।

संवेदनशील समूहों में अधिक खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों, वृद्धों और प्रतिरक्षा प्रणाली से कमजोर व्यक्तियों पर पड़ सकता है। ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने भी इस पर निगरानी बढ़ा दी है और वायरस के संभावित प्रभावों को लेकर लगातार अध्ययन कर रहा है। एक ICMR अधिकारी ने बताया कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2022 में किए गए अध्ययन में पाया गया कि श्वसन रोगों से पीड़ित 4% बच्चों में HMPV पाया गया।

HMPV की विशेषताएँ और प्रसार

HMPV एक सांस संबंधित वायरस है, जो हल्की बीमारियों से लेकर गंभीर स्थितियों जैसे ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया का कारण बन सकता है। यह वायरस सांस लेने वाले बूंदों के माध्यम से फैलता है और आमतौर पर सर्दियों और वसंत के शुरुआती दिनों में अधिक प्रचलित होता है। नीदरलैंड में 2001 में पहली बार इसकी पहचान हुई थी और तब से यह कई देशों में फैल चुका है।

निवारण और उपचार

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस वायरस से बचने के लिए सामान्य सावधानियों का पालन करने की सलाह दी है, जैसे हाथों की सफाई, खांसते समय मुंह और नाक ढकने की आदत और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की सलाह दी है। हालांकि, HMPV संक्रमण के लिए आमतौर पर अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं होती, और लक्षणात्मक देखभाल से यह ठीक हो जाता है।

HMPV के बढ़ते मामलों के बावजूद, भारत में इसकी स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बशर्ते उचित सावधानियाँ और स्वास्थ्य देखभाल समय पर की जाए। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस को लेकर अलर्ट मोड में रहते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए कदम उठाए हैं। इसके बावजूद, समय रहते इलाज और स्वास्थ्य देखभाल से स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.