विद्युत कर्मचारी संघ का विरोध प्रदर्शन: वेतनमान में कटौती और निजीकरण के खिलाफ उठाई आवाज

उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को राज्यभर में बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन और सभाओं का आयोजन किया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रबंधन ने उनके समयबद्ध वेतनमान में किसी प्रकार की कटौती की, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कर्मचारियों ने साफ किया कि वे इस प्रकार के फैसलों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।

Feb 8, 2025 - 12:53
Feb 8, 2025 - 12:54
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विद्युत कर्मचारी संघ का विरोध प्रदर्शन: वेतनमान में कटौती और निजीकरण के खिलाफ उठाई आवाज
वेतन में कटौती पर सरकार को दी चेतावनी‍‍‍‍‍...
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को राज्यभर में बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन और सभाओं का आयोजन किया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रबंधन ने उनके समयबद्ध वेतनमान में किसी प्रकार की कटौती की, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कर्मचारियों ने साफ किया कि वे इस प्रकार के फैसलों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।
समयबद्ध वेतनमान में कटौती का विरोध 

विरोध प्रदर्शन में कर्मचारियों ने यह आरोप लगाया कि प्रबंधन विद्युत कर्मियों को मिलने वाले समयबद्ध वेतनमान की राशि में कटौती करने की योजना बना रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इस समयबद्ध वेतनमान की राशि को कम करने से कर्मचारियों के हितों पर सीधा असर पड़ेगा। कर्मचारी नेताओं ने यह भी कहा कि यदि यह कदम उठाया गया तो इसका विरोध पूरे राज्य मेंऔर भी तेज हो सकता है और संगठन इस पर सीधी कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
निजीकरण के खिलाफ जनता के बीच जाएंगे बिजलीकर्मी

आंदोलन के तहत अब विद्युत कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज और मजबूत करेंगे। विद्युत कर्मचारी निजीकरण के मुद्दे पर आम जनता के बीच जाएंगे और उन्हें बताएंगे कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन जानबूझकर गलत आंकड़े प्रस्तुत कर बिजली कंपनियों के घाटे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा है। इसके पीछे उद्देश्य निजीकरण को बढ़ावा देना है, जिससे आम उपभोक्ताओं को भारी नुकसान हो सकता है।
गलत आंकड़ों के आधार पर घाटे का आंकलन

विद्युत कर्मचारी नेताओं ने यह भी बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में वर्ष 2023-24 के दौरान विद्युत हानियां 25.26 प्रतिशत हैं, जबकि आरएफपी डॉक्यूमेंट में इन हानियों को 49.32 प्रतिशत दर्शाया गया है। इसी तरह, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 22.75 प्रतिशत हानियां हैं, जबकि आरएफपी डॉक्यूमेंट में इसे 34.33 प्रतिशत दिखाया गया है।
आगरा का उदाहरण

कर्मचारी नेताओं ने आगरा शहर का उदाहरण भी दिया, जहां 2010 में टोरेंट पावर कंपनी को बिजली वितरण का कार्य सौंपा गया था। तब आगरा में 54 प्रतिशत हानियां बताई गई थीं, और आज भी इसके दुष्परिणाम पावर कॉरपोरेशन को भुगतने पड़ रहे हैं। महंगी बिजली खरीदकर टोरेंट पावर को सस्ती दरों पर दी जा रही है, जिससे पावर कॉरपोरेशन को 2023-24 में 275 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
निजीकरण से होने वाली समस्याएं
अब कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण की प्रक्रिया में इससे भी बड़ा घोटाला हो सकता है। इसका नकारात्मक असर सीधे आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो बिजली की महंगी दरों का सामना करेंगे। इस संदर्भ में कर्मचारी नेताओं ने जोर देकर कहा कि निजीकरण का विरोध करना अब और भी जरूरी हो गया है।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.