वाराणसी, 19 जनवरी: पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. दिग्विजय सिंह और पांच अन्य डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने का आरोप सही पाया गया है, जिसके बाद इन डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस स्वीकार नहीं की जाएगी: उप मुख्यमंत्री की चेतावनी
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले में सख्त चेतावनी दी है कि सरकारी सेवा में काम करने वाले डॉक्टरों को अनुशासन में रहना चाहिए और किसी भी कीमत पर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग किसी भी चिकित्सक की गलत गतिविधियों को उजागर करने के लिए शिकायतों और स्टिंग ऑपरेशन का सहारा लेगा।
जांच प्रक्रिया और नई तैनाती
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक (प्रशासन) को जांच अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इस बीच, डॉ. बृजेश कुमार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय का नया सीएमएस नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही, अस्पताल में पांच नए डॉक्टरों की तैनाती की गई है, जिनमें डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. मेही लाल पटेल, डॉ. राकेश कुमार पांडेय, डॉ. कौशल कुमार सिंह और डॉ. अशोक कुमार शामिल हैं।
प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई
वाराणसी के पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह पर यह आरोप है कि उन्होंने खुद प्राइवेट प्रैक्टिस की और अपने अधीनस्थ डॉक्टरों द्वारा ऐसी गतिविधियों को करने की जानकारी होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की। इस अस्पताल के चार अन्य डॉक्टरों पर भी आरोप हैं कि वे वाराणसी में स्थित विभिन्न अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। इन डॉक्टरों में सर्जन डॉ. कृष्ण जी पांडेय, डॉ. पवन कुमार सिंह, वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. रवीन्द्र नाथ सिंह और डॉ. शिवपूजन मौर्य शामिल हैं।
अनुशासनहीनता और गुटबाजी के आरोप
डॉ. कृष्ण कुमार बरनवाल पर भी गाजीपुर जिले में प्राइवेट क्लीनिक चलाने का आरोप है। इसके साथ ही, इन पर अस्पताल में अनुशासनहीनता और गुटबाजी फैलाने का भी आरोप लगा है। जांच प्रक्रिया के दौरान यह आरोप सही पाए जाने पर इन डॉक्टरों का तबादला दूसरे जिलों में किया गया है।
अगर आरोप सही पाए गए तो होगी सख्त कार्रवाई
अपर निदेशक और मुख्य चिकित्साधिकारी की जांच में अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो इन डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, तीन कर्मचारियों, जिनमें नर्सिंग अधिकारी सुनीता देवी, ईसीजी टेक्नीशियन राकेश कुमार श्रीवास्तव और एक्स-रे टेक्नीशियन राकेश कुमार सिंह शामिल हैं, को अनुशासनहीनता के आरोप में चिह्नित किया गया है।
तबादला किए गए डॉक्टरों की नई तैनाती
जिन डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस और अनुशासनहीनता के आरोप में हटाया गया है, उन्हें दूसरे जिलों के अस्पतालों में तैनात किया गया है। डॉ. पवन कुमार सिंह को महाराजगंज जिला चिकित्सालय, डॉ. कृष्ण जी पांडेय को अंबेडकरनगर के जिला संयुक्त चिकित्सालय, डॉ. कृष्ण कुमार बरनवाल को बलरामपुर के जिला चिकित्सालय, डॉ. शिवपूजन मौर्य को श्रावस्ती के जिला संयुक्त चिकित्सालय और डॉ. रवीन्द्र नाथ सिंह को बांदा के जिला चिकित्सालय में स्थानांतरित किया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों का असर
यह कार्रवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई है, जिसमें सरकारी डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस की अनुमति को पूरी तरह से नकारा किया है।
यह कदम सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के अनुशासन और कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।