कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बयान से मचा बवाल, कहा; अगर भगवान.....
कर्नाटक के डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने हाल ही में एक बयान दिया, जो सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। शिवकुमार ने कहा था कि "अगर भगवान भी आ जाएं, तो बेंगलुरु को नहीं बदल सकते।" इस बयान के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार और बेंगलुरु के निवासियों ने उन्हें घेर लिया है, खासकर शहर की बढ़ती समस्याओं को लेकर उनके बयान को लेकर।

बेंगलुरु की समस्याओं पर बयान
डीके शिवकुमार रोड कंस्ट्रक्शन वर्कशॉप का उद्घाटन करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने बेंगलुरु की ट्रैफिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्याओं को लेकर यह बयान दिया। उनका कहना था कि बेंगलुरु में बढ़ते ट्रैफिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के मुद्दे रातों-रात हल नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी कहा कि अगले दो-तीन सालों में शहर की स्थिति नहीं सुधर सकती। उनका मानना था कि बेंगलुरु को सुधारने के लिए योजनाओं की बेहतर तरीके से प्लानिंग और प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया पर विरोध और आलोचनाएं
शिवकुमार के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। कई नागरिकों ने राज्य सरकार की धीमी गति से चल रही परियोजनाओं, ट्रैफिक समस्याओं और मेट्रो विस्तार में हो रही देरी पर नाराजगी व्यक्त की। आलोचकों का कहना था कि सरकार ने कई बड़ी परियोजनाओं का ऐलान किया है, लेकिन कार्यान्वयन में बहुत अधिक समय लग रहा है, जिससे आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इकोनॉमिस्ट मोहनदास पाई ने भी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "आपको मंत्री बने दो साल हो गए हैं, और हम सोचते थे कि आप एक प्रभावी मंत्री साबित होंगे, लेकिन हमारी स्थिति अब और भी खराब हो गई है।"
भा.ज.पा. का हमला, राजनीति तेज
डीके शिवकुमार के बयान को लेकर राजनीति भी गरम हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो व्यक्ति बेंगलुरु को स्मार्ट बनाने की बात कर रहा था, वही अब यह कह रहा है कि भगवान भी इसे ठीक नहीं कर सकते। भाजपा के नेताओं ने इस बयान को सत्ता में कांग्रेस की नाकामी के रूप में पेश किया है।
निवासियों की बढ़ती समस्याएं
बेंगलुरु के निवासी पिछले कुछ समय से शहर की समस्याओं, विशेष रूप से ट्रैफिक जाम, मेट्रो के विस्तार में देरी और सार्वजनिक परिवहन के विकल्प की कमी को लेकर सरकार से सवाल कर रहे हैं। शिवकुमार के बयान के बाद से यह मुद्दा और भी तूल पकड़ सकता है, क्योंकि नागरिक अब अधिक उम्मीदों के साथ सरकार से बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।
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