इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी पुलिस रेडियो ऑपरेटर भर्ती पर निर्णय दिया: एकल पीठ का फैसला पलटा
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो ऑपरेटर की भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस रेडियो अधीनस्थ सेवा नियमावली 2015 के तहत केवल डिप्लोमाधारी इंजीनियर ही हेड ऑपरेटर या हेड ऑपरेटर मैकेनिक के पद पर आवेदन करने के हकदार हैं, जबकि डिग्रीधारी इंजीनियरों को इन पदों के लिए आवेदन करने का अधिकार नहीं है।

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो ऑपरेटर की भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस रेडियो अधीनस्थ सेवा नियमावली 2015 के तहत केवल डिप्लोमाधारी इंजीनियर ही हेड ऑपरेटर या हेड ऑपरेटर मैकेनिक के पद पर आवेदन करने के हकदार हैं, जबकि डिग्रीधारी इंजीनियरों को इन पदों के लिए आवेदन करने का अधिकार नहीं है।
भर्ती प्रक्रिया रद्द करना असंवैधानिक
लखनऊ खंडपीठ ने एकल पीठ के 8 जनवरी 2025 के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करना गलत था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय यूपी पुलिस रेडियो अधीनस्थ सेवा नियमावली 2015 के आधार पर लिया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल डिप्लोमाधारी इंजीनियरों को ही इन पदों के लिए आवेदन का अधिकार है। इसलिए, भर्ती बोर्ड द्वारा डिग्रीधारी इंजीनियरों को आवेदन करने का अधिकार देने का आदेश गलत था।
विशेष अपील में कोर्ट का फैसला
यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस सुभाश विद्यार्थी की पीठ ने पारित किया। पीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई के बाद एकल पीठ के आदेश को पलटते हुए यह निर्णय लिया। 6 जनवरी 2022 को जारी किए गए भर्ती नियमों में भर्ती बोर्ड द्वारा बदलाव करने के बाद डिग्रीधारी इंजीनियरों को आवेदन का अधिकार दिया गया था, जिसे बिना किसी कानूनी अधिकार के घोषित किया गया।
डिग्रीधारी इंजीनियरों को आवेदन का अधिकार नहीं
कोर्ट ने यह भी माना कि एकल पीठ का यह आदेश सही था, जिसमें कहा गया था कि डिग्रीधारी इंजीनियरों को इन पदों के लिए आवेदन करने का अधिकार नहीं था। डिग्रीधारी याचियों ने भर्ती बोर्ड के 23 अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि हेड ऑपरेटर और हेड ऑपरेटर मैकेनिक के पदों पर भर्ती के लिए विभाग ने 6 जनवरी 2022 को जो विज्ञापन निकाला था, उसमें डिप्लोमाधारी इंजीनियरों या उनके समकक्ष अभ्यर्थियों को आवेदन का अधिकार दिया गया था।
बोर्ड के आदेश में बदलाव: भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी
इससे पहले, 25 अगस्त 2021 को बोर्ड ने आदेश जारी किया था कि डिग्रीधारी इंजीनियरों की योग्यता डिप्लोमाधारियों के समकक्ष मानी जाए, जिसके कारण बड़ी संख्या में डिग्रीधारी इंजीनियरों ने आवेदन किया। लेकिन बाद में बोर्ड ने 1 अप्रैल 2024 को एक अन्य आदेश में कहा कि डिग्रीधारी इंजीनियरों की योग्यता डिप्लोमाधारियों से बड़ी है, और इस आधार पर डिग्रीधारी इंजीनियरों को भर्ती प्रक्रिया में आवेदन का अधिकार नहीं है।
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नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया की संभावना
एकल पीठ ने यह भी माना कि भर्ती प्रक्रिया में लगभग 75 प्रतिशत डिग्रीधारी अभ्यर्थी शामिल थे, जिन्हें आवेदन करने का अधिकार नहीं था। इस कारण से, एकल पीठ ने फैसला किया था कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को नए सिरे से कराया जाए। हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस आदेश को पलटते हुए भर्ती प्रक्रिया को वैध करार दिया है और इसे जारी रखने का निर्देश दिया है।
कोर्ट का अंतिम निर्णय
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि डिग्रीधारी इंजीनियरों को इन पदों के लिए आवेदन का अधिकार नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के एकल पीठ के आदेश को पलटते हुए यह फैसला दिया है कि यह भर्ती प्रक्रिया कानून के तहत वैध है और इसे रद्द नहीं किया जा सकता। इस फैसले से बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी इंजीनियरों को राहत मिली है, जबकि डिग्रीधारी अभियर्थियों को इस मामले में निराशा हाथ लगी है।
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