मणिपुर में फिर हिंसा की कोशिश, इम्फाल में गोलीबारी और बम धमाकों से दहशत

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा का प्रयास किया गया, जब पहाड़ी इलाकों से हथियारबंद हमलावरों ने इम्फाल ईस्ट जिले के दो गांवों में हमला किया। शुक्रवार सुबह हुई इस घटना से क्षेत्र में दहशत फैल गई। हालांकि, अब तक किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

Dec 27, 2024 - 17:27
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मणिपुर में फिर हिंसा की कोशिश, इम्फाल में गोलीबारी और बम धमाकों से दहशत

मणिपुर, 27 दिसंबर: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा का प्रयास किया गया, जब पहाड़ी इलाकों से हथियारबंद हमलावरों ने इम्फाल ईस्ट जिले के दो गांवों में हमला किया। शुक्रवार सुबह हुई इस घटना से क्षेत्र में दहशत फैल गई। हालांकि, अब तक किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

हमलावरों ने सनसाबी और थमनापोकपी गांवों को बनाया निशाना

हमलावरों ने सुबह करीब 10:45 बजे सनसाबी गांव में अंधाधुंध गोलीबारी और बम विस्फोट शुरू कर दिए, जिससे आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल बन गया। इसके कुछ समय बाद, करीब 11:30 बजे, हमलावरों ने थमनापोकपी गांव पर भी हमला किया। इन दोनों गांवों में हमले के बाद स्थानीय लोग दहशत में आकर इधर-उधर भागने लगे। सुरक्षा बलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और हमलावरों से मुकाबला करने के लिए गोलीबारी शुरू कर दी।

सुरक्षाबलों ने नागरिकों को बचाया, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण

सुरक्षाबलों, जिसमें सीआरपीएफ के जवान भी शामिल थे, ने घटनास्थल पर मौजूद कई महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को बचाया। हालांकि, घटनास्थल पर हुई भीषण गोलीबारी और बम धमाकों ने क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया और स्थानीय लोग भयभीत हो गए। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई से हमलावरों को पीछे हटना पड़ा, लेकिन हमले के बाद स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

मणिपुर में जातीय हिंसा का जारी संकट

मणिपुर में पिछले साल मई से चल रही जातीय हिंसा ने राज्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। मीतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष ने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली है, और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस संघर्ष के कारण राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और नागरिकों के बीच भय और अनिश्चितता का माहौल है।

सुरक्षा बलों की सतर्कता और सरकार की चुनौती

मणिपुर में इस तरह के हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच सुरक्षा बलों ने अपनी स्थिति मजबूत की है और राज्य में स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। हालांकि, सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई है कि वह जातीय संघर्ष को शांत कराकर सामान्य स्थिति बहाल कर सके।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.