उत्तर प्रदेश, 21जनवरी: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन (MYT) के तहत अब घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें समय के हिसाब से बढ़ने और घटने वाली हैं। इस नए प्रस्ताव के लागू होने से गर्मियों में सुबह सस्ती और देर शाम से रात के समय बिजली महंगी हो जाएगी, जबकि ठंड के मौसम में अक्टूबर से मार्च तक शाम 5 बजे से आधी रात तक बिजली महंगी होगी और उसके बाद तड़के तक सस्ती। यह व्यवस्था तभी लागू होगी जब उपभोक्ताओं के पास स्मार्ट मीटर होंगे।
यह बदलाव ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य बिजली वितरण व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना है। हालांकि, इस नई व्यवस्था के लागू होने से घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली का खर्च बढ़ने की संभावना है। अनुमान के अनुसार, इस टैरिफ सिस्टम के लागू होने पर 70 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली खर्च में 20 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।
क्या है टीओडी टैरिफ (टाइम ऑफ डे टैरिफ)?
टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ का अर्थ है कि बिजली की दरें अलग-अलग समय में अलग-अलग होंगी। फिलहाल यह व्यवस्था केवल भारी और हल्के उद्योगों के लिए लागू है, जहां दिन और रात के विभिन्न समयों में बिजली दरें बदलती हैं। अब आयोग द्वारा प्रस्तावित नए रेगुलेशन के तहत इसे घरेलू उपभोक्ताओं पर भी लागू किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, गर्मियों में (अप्रैल से सितंबर) उद्योगों के लिए सुबह 5 बजे से 10 बजे तक बिजली सस्ती होती है, जबकि शाम 7 बजे से आधी रात तक और फिर रात 3 बजे से 5 बजे तक यह महंगी हो जाती है। वहीं, सर्दियों में (अक्टूबर से मार्च) शाम 5 बजे से रात 11 बजे तक बिजली महंगी होती है, जबकि रात 11 बजे से तड़के 5 बजे तक यह सस्ती होती है।
घरेलू उपभोक्ताओं पर असर
स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता के कारण, उपभोक्ता यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे बिजली के विभिन्न दरों का सही लाभ उठा सकें। हालांकि, यह भी संभावना जताई जा रही है कि टीओडी के लागू होने से घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कुल बिजली खर्च में वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से उन उपभोक्ताओं के लिए, जो दिन के समय अधिक बिजली का उपयोग करते हैं, जैसे कि सुबह और देर रात के समय।
स्मार्ट मीटर की उपस्थिति के बिना उपभोक्ता इस व्यवस्था का लाभ नहीं उठा सकेंगे, और उनके लिए समय के हिसाब से बिजली दरें नहीं बदल पाएंगी।
किसानों को मिलेगा राहत
टीओडी टैरिफ कृषि कार्यों (सिंचाई आदि) में इस्तेमाल होने वाली बिजली पर लागू नहीं होगा। यह निर्णय लगभग 15 लाख किसानों को राहत देने के लिए लिया गया है, जिनका बिजली कनेक्शन कृषि कार्यों के लिए है। इन उपभोक्ताओं को कोई बदलाव नहीं झेलना होगा।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बढ़ेगा खर्च
आयोग के प्रस्ताव के अनुसार, 2.85 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके चलते अनुमान है कि 70 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में 10 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।
उपभोक्ता परिषद ने जताई चिंता उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस नए टैरिफ के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि घरेलू और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के हित में यह व्यवस्था नहीं है और वे इसका विरोध करेंगे। उन्होंने 2023 में भी इस प्रस्ताव के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके बाद संबंधित प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया था।
वर्मा का कहना है कि इस समय, जब घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में वृद्धि होने की संभावना है, सरकार और आयोग को उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई कदम उठाना चाहिए।
केंद्र सरकार की योजना
केंद्र सरकार ने विद्युत अधिनियम के तहत इस नए टैरिफ रेगुलेशन को लागू करने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं, और यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू हो सकती है। यदि यह लागू हो गया, तो घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें समय के हिसाब से घट-बढ़ सकती हैं, जैसा कि पहले उद्योगों में किया गया है।
उत्तर प्रदेश में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन का प्रस्ताव घरेलू उपभोक्ताओं के लिए एक नई चुनौती लेकर आ सकता है। हालांकि, इससे बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन उपभोक्ताओं को इसके लिए तैयार रहना होगा। बिजली की दरों में बदलाव का असर अधिकतर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो अधिकतर वक्त घर में होते हैं और जिनकी बिजली खपत शाम और रात में ज्यादा होती है। ऐसे में यह देखना होगा कि आयोग उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए इस प्रस्ताव को कैसे लागू करता है।