दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रूण लिंग निर्धारण मामले में डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी खारिज की, चिकित्सक के खिलाफ आरोपों को अस्वीकार करते हुए न्यायालय का निर्णय

नई दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रूण के लिंग निर्धारण के मामले में एक महिला डॉक्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यह मामला केवल इस दावे तक सीमित था कि डॉक्टर ने एक फर्जी मरीज पर अल्ट्रासाउंड किया था, और इससे यह साबित नहीं होता कि चिकित्सक ने पूर्व-निदान तकनीक (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, PCPNDT) का उल्लंघन किया।

Jan 4, 2025 - 14:47
 0  2
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रूण लिंग निर्धारण मामले में डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी खारिज की, चिकित्सक के खिलाफ आरोपों को अस्वीकार करते हुए न्यायालय का निर्णय
नई दिल्ली,04 जनवरी: नई दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रूण के लिंग निर्धारण के मामले में एक महिला डॉक्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यह मामला केवल इस दावे तक सीमित था कि डॉक्टर ने एक फर्जी मरीज पर अल्ट्रासाउंड किया था, और इससे यह साबित नहीं होता कि चिकित्सक ने पूर्व-निदान तकनीक (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, PCPNDT) का उल्लंघन किया।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह का निर्णय

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने पिछले महीने पारित अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं था जिससे यह साबित हो सके कि डॉक्टर ने कानून का उल्लंघन किया। अदालत ने कहा कि इसके लिए कोई प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया गया कि डॉक्टर का किया गया ऑपरेशन या चिकित्सा प्रक्रिया PCPNDT एक्ट के तहत अवैध था।

कानूनी दृष्टिकोण से निष्कलंक निर्णय

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता (डॉक्टर) के खिलाफ दायर आरोप केवल कथित लिंग निर्धारण से संबंधित थे, जो कि एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया थी, और इससे यह नहीं सिद्ध होता कि डॉक्टर ने भारतीय कानून का उल्लंघन किया।

महत्वपूर्ण मुद्दों पर अदालत का ध्यान केंद्रित

इस फैसले ने चिकित्सा के क्षेत्र में और खासकर भ्रूण लिंग निर्धारण के मामलों में कानूनी दृष्टिकोण को पुनः स्पष्ट किया। अदालत ने यह माना कि केवल आरोपों के आधार पर किसी डॉक्टर के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करना उचित नहीं है, जब तक कि इसके खिलाफ कोई ठोस सबूत या प्रमाण नहीं हो।

दिल्ली उच्च न्यायालय का यह आदेश चिकित्सा क्षेत्र में भ्रूण लिंग निर्धारण से संबंधित मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं को लेकर महत्वपूर्ण रुख प्रस्तुत करता है। न्यायालय ने इसे स्पष्ट रूप से तय किया कि केवल आरोपों से किसी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, जब तक कि कानूनी उल्लंघन का ठोस प्रमाण न हो।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.