इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अभय सिंह और उनके सहयोगियों को बरी करने के मामले की सुनवाई का आदेश नई पीठ को दिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के बागी विधायक अभय सिंह और उनके चार सहयोगियों को बरी करने से जुड़े मामले को सुनवाई के लिए एक नई पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम लखनऊ पीठ के दो न्यायाधीशों के फैसले के बाद उठाया गया है। जिन्होंने अंबेडकर नगर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत द्वारा इन आरोपियों को बरी करने के फैसले के संबंध में परस्पर विरोधी निर्णय दिए थे। अब इस मामले की सुनवाई नई पीठ द्वारा की जाएगी।
इलाहाबाद, 22 दिसंबर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के बागी विधायक अभय सिंह और उनके चार सहयोगियों को बरी करने से जुड़े मामले को सुनवाई के लिए एक नई पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम लखनऊ पीठ के दो न्यायाधीशों के फैसले के बाद उठाया गया है। जिन्होंने अंबेडकर नगर की विशेष एमपी/एमएलए अदालत द्वारा इन आरोपियों को बरी करने के फैसले के संबंध में परस्पर विरोधी निर्णय दिए थे। अब इस मामले की सुनवाई नई पीठ द्वारा की जाएगी।
खंडित फैसले के बाद नया रास्ता
अंबेडकर नगर में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने अभय सिंह और उनके सहयोगियों को धमकी देने के आरोपों में बरी कर दिया था। लेकिन जब इस फैसले को चुनौती दी गई, तो उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। यहां पर दोनों न्यायाधीशों ने इस मामले पर अलग-अलग राय दी, जिससे खंडित फैसला हुआ। एक न्यायाधीश ने आरोपी को बरी करने के फैसले को सही ठहराया, जबकि दूसरे ने इसे गलत माना।
नई पीठ द्वारा पुनः सुनवाई
खंडित फैसले के बाद अब इस मामले को नई पीठ के पास भेजा गया है, जो इस मामले की फिर से सुनवाई करेगी। उच्च न्यायालय ने मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को नए सिरे से सुनने के लिए नई पीठ के गठन की सिफारिश की है। इस नई पीठ के गठन के बाद, मामले की सुनवाई शुरू होगी और नई पीठ इस पर अंतिम फैसला सुनाएगी।
राजनीतिक प्रभाव
इस फैसले का राजनीतिक असर भी हो सकता है, क्योंकि अभय सिंह और उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी के बागी सदस्य हैं। उनका भविष्य इस फैसले पर निर्भर करेगा, और यह मामला सपा के अंदर राजनीतिक हलचल भी पैदा कर सकता है।
मामले का महत्व
इस मामले का अदालत में नए सिरे से परीक्षण होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल कानूनी पक्ष से संबंधित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक आयाम भी हैं। न्यायालय के फैसले का परिणाम अभय सिंह और उनके सहयोगियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, जो अपनी राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
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