प्रदीप कुमार जासूसी के आरोप से बरी, अब न्यायाधीश बनेंगे
प्रदीप कुमार, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप से बरी हो चुके हैं, अब उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा (सीधी भर्ती) के न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। हालांकि, जासूसी के आरोप से बरी होने के कई साल बाद भी उन्हें न्यायिक सेवा में नियुक्ति पत्र नहीं मिला था, जिससे उनकी बेगुनाही पर सवाल उठ रहे थे। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उन्हें सम्मानजनक व्यवहार मिलना चाहिए, और उनके खिलाफ कोई निराधार संदेह नहीं होना चाहिए।
प्रदीप कुमार, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप से बरी हो चुके हैं, अब उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा (सीधी भर्ती) के न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। हालांकि, जासूसी के आरोप से बरी होने के कई साल बाद भी उन्हें न्यायिक सेवा में नियुक्ति पत्र नहीं मिला था, जिससे उनकी बेगुनाही पर सवाल उठ रहे थे। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उन्हें सम्मानजनक व्यवहार मिलना चाहिए, और उनके खिलाफ कोई निराधार संदेह नहीं होना चाहिए।
प्रदीप कुमार को 13 जून 2002 को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जब उन पर आरोप था कि उन्होंने फैजान इलाही नामक व्यक्ति की मदद से कानपुर छावनी की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान भेजी। इलाही फोटो स्टेट की दुकान चलाता था। हालांकि, 2014 में कानपुर की स्थानीय अदालत ने उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया।
हाईकोर्टस से मिली राहत
प्रदीप ने 2016 में यूपी उच्चतर न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की, लेकिन अंतिम चयन के बावजूद नियुक्ति पत्र नहीं मिला। इस पर प्रदीप ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। सरकारी वकील ने प्रदीप के खिलाफ यह तर्क दिया कि उनका परिवार पहले से विवादों में रहा है, क्योंकि प्रदीप के पिता जगदीश प्रसाद को 1990 में रिश्वतखोरी के आरोप में अतिरिक्त न्यायाधीश के पद से बर्खास्त किया गया था। हालांकि, हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रदीप को बरी किया और कहा कि राज्य के पास उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें अब किसी भी निराधार संदेह से मुक्त होकर अपने जीवन और करियर में आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।
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