सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी को सशर्त भविष्य की जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को नौकरी के बदले नकदी घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सशर्त भविष्य की जमानत दे दी। चटर्जी, जिनकी गिरफ्तारी पिछले साल हुई थी, ने अपनी जमानत याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चटर्जी को रिहाई की अनुमति दी, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी लगाईं।

Dec 13, 2024 - 13:27
Dec 13, 2024 - 13:29
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सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी को सशर्त भविष्य की जमानत दी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को नौकरी के बदले नकदी घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सशर्त भविष्य की जमानत दे दी। चटर्जी, जिनकी गिरफ्तारी पिछले साल हुई थी, ने अपनी जमानत याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चटर्जी को रिहाई की अनुमति दी, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी लगाईं।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पार्थ चटर्जी को 1 फरवरी, 2025 को रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि ट्रायल कोर्ट शीतकालीन अवकाश से पहले इस मामले में आरोप तय कर ले और जनवरी 2025 के दूसरे और तीसरे सप्ताह तक गवाहों की जांच पूरी कर ले। यह आदेश चटर्जी द्वारा दायर की गई जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।

अदालत ने कहा कि रिहाई पर चटर्जी कोई सार्वजनिक पद नहीं संभालेंगे लेकिन विधायक बने रह सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्थ चटर्जी की रिहाई के बाद वह किसी भी सार्वजनिक पद का कार्यभार नहीं संभालेंगे। हालांकि, वह अपने विधायक पद पर बने रहेंगे। इस फैसले के साथ कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि चटर्जी की रिहाई से सरकारी कामकाज या सार्वजनिक जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग और नौकरी के बदले घोटाले से जुड़ी जांच के संदर्भ में हुई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरियों के बदले बड़ी राशि की घूस ली थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद, कई मामलों की जांच की गई, जिसमें अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आई।

रिहाई की खबर से समर्थकों में खुशी का माहौल

इस फैसले को लेकर चटर्जी के समर्थकों में खुशी की लहर है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस प्रकार के फैसले भ्रष्टाचार से निपटने में रुकावट डालते हैं और यह संदेश देते हैं कि सत्ता में रहने वाले नेता कानून से ऊपर हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दृष्टकोण में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य सरकार और विपक्ष के बीच चल रही राजनीतिक हलचल के बीच आया है। चटर्जी के खिलाफ मामले की सुनवाई अब तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है, जिससे इस मामले में जल्द ही कोई नया मोड़ आ सकता है।

इस जमानत का निर्णय आने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि पार्थ चटर्जी के लिए अभी भी कई कानूनी चुनौतियाँ बाकी हैं, लेकिन उनकी रिहाई शर्तों के साथ होने के कारण उन्हें इस समय कुछ राहत मिली है।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.