किसानों का दिल्ली मार्च फिर से शुरू, अंबाला में इंटरनेट सेवाएं बंद
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के उद्देश्य से 101 किसानों का जत्था शनिवार दोपहर 12 बजे शंभू सीमा बिंदु से दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च फिर से शुरू करेगा। इस जत्थे की अगुवाई किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेता सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं। किसान संगठन की मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी को कानूनी रूप से सुनिश्चित करे, ताकि किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

नई दिल्ली/चंडीगढ़: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के उद्देश्य से 101 किसानों का जत्था शनिवार दोपहर 12 बजे शंभू सीमा बिंदु से दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च फिर से शुरू करेगा। इस जत्थे की अगुवाई किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेता सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं। किसान संगठन की मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी को कानूनी रूप से सुनिश्चित करे, ताकि किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
शांतिपूर्ण रूप से प्रदर्शन
किसान नेताओं ने कहा कि वे दिल्ली की ओर बढ़ेंगे और सरकार से अपनी मांगों पर ठोस कदम उठाने की अपील करेंगे। पंढेर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि "हमारा मार्च शांतिपूर्ण रहेगा और हम सरकार से अपनी मांगों को लेकर न्याय की उम्मीद करते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाए और किसानों के खिलाफ जारी उत्पीड़न को रोका जाए।" किसान संगठन के प्रतिनिधियों ने सरकार से यह स्पष्ट किया है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर मार्च करेंगे, और उनका उद्देश्य किसी भी तरह की हिंसा या उत्पात नहीं है।
इंटरनेट सेवा बंद
इस बीच, हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 12 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाओं को 17 दिसंबर तक निलंबित कर दिया है। यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है, क्योंकि सरकार को आशंका है कि किसानों का दिल्ली मार्च उस क्षेत्र से होकर गुजरेगा और इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। प्रशासन ने स्थानीय अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है।हरियाणा सरकार ने यह भी बताया कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य किसी प्रकार की अफवाहों और नफरत फैलाने वाली जानकारी के प्रसार को रोकना है, जो सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं। हालांकि, किसान नेताओं ने इस कदम को लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के रूप में देखा और उन्होंने इसका विरोध किया।
मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा संघर्ष
किसानों के इस आंदोलन ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापक चर्चा और समर्थन प्राप्त किया है, विशेष रूप से 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बाद। हालांकि उन कानूनों को रद्द किया गया था, फिर भी किसानों की MSP और अन्य मुद्दों को लेकर मांगें पूरी नहीं हुई हैं। किसानों का मानना है कि जब तक उनकी मांगों को कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
अब, दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों के इस जत्थे से यह तय होगा कि केंद्र सरकार इस बार किस तरह से उनका जवाब देती है और क्या उनके विरोध को गंभीरता से लिया जाएगा।
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