महिलाओं के लिए बड़ी खुशखबरी ,मिलेगी पीरियड्स की छुट्टी
देश की एक विश्वविद्यालय ने लड़कियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, जिसकी चारो तरफ चर्चा हो रही है इस विश्वविद्यालय ने लड़कियों के लिए एक दिन की मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा की है. इस संबंध में बकायदा विश्वविद्यालय की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, जिसके बाद यहां पढ़ रही या पढ़ने वाली हर फीमेल स्टूडेंट महीने में एक दिन मेंस्ट्रुअल लीव ले सकती हैं.
देश की एक विश्वविद्यालय ने लड़कियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, जिसकी चारो तरफ चर्चा हो रही है इस विश्वविद्यालय ने लड़कियों के लिए एक दिन की मेंस्ट्रुअल लीव देने की घोषणा की है. इस संबंध में बकायदा विश्वविद्यालय की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, जिसके बाद यहां पढ़ रही या पढ़ने वाली हर फीमेल स्टूडेंट महीने में एक दिन मेंस्ट्रुअल लीव ले सकती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कहाँ हुआ है, तो आपको बता दें कि इस तरह का नियम सिक्किम विश्वविद्यालय में लागू किया गया है.इस फैसले की घोषणा 4 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार लक्ष्मण शर्मा ने की. ये निर्णय छात्र संघ सिक्किम विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स एसोसिएशन (SUSA) के अनुरोध पर लिया गया.
क्या है नियम -
विश्वविद्यालय की अधिसूचना के अनुसार, छात्राओं को यह अवकाश हर महीने दिया जाएगा, लेकिन यह परीक्षाओं के दौरान लागू नहीं होगा. रजिस्ट्रार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह छुट्टी छात्राओं की 75 प्रतिशत उपस्थिति के मानदंड में समायोजित की जाएगी, ताकि उनके अकादमिक प्रदर्शन पर इसका असर न पड़े.
सिक्किम हाई कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला -
यह पहली बार नहीं है जब सिक्किम ने महिलाओं के हित में ऐसा कदम उठाया है. इससे पहले सिक्किम हाई कोर्ट ने अपने महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान 2-3 दिनों का पैड लीव देने की शुरुआत की थी. यह पहल हाई कोर्ट को देश का ऐसा पहला न्यायालय बनाती है, जिसने महिलाओं के लिए पीरियड्स लीव का प्रावधान किया.
हाई कोर्ट का क्या है कहना ?
हाई कोर्ट की अधिसूचना के मुताबिक महिला कर्मचारियों को मेडिकल स्टाफ की सिफारिश के आधार पर अवकाश दिया जाता है. छुट्टी लेने पर सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी. यह अवकाश महिला कर्मचारियों की लीव अकाउंट में भी नहीं गिना जाएगा.
फैसले पर ,महिलाओं की राय -
सिक्किम विश्वविद्यालय और हाई कोर्ट के इन फैसलों को महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. यह न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ाएगा, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखेगा.
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