उत्तर प्रदेश के सरकारी चिकित्सकों द्वारा नियमों की अनदेखी: सरकारी अस्पतालों पर बढ़ी मनमानी
उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश कुमार पाठक, जो सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने के लिए हमेशा गंभीर रहते हैं, अब अपने निर्देशों पर काम होते हुए नहीं देख पा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने सरकारी डॉक्टरों को बार-बार चेतावनी दी थी कि वे प्राइवेट अस्पताल नहीं चलाएंगे और ऐसे किसी भी चिकित्सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी चिकित्सक इस निर्देश की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं और निजी अस्पतालों का संचालन कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश,07 जनवरी: उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश कुमार पाठक, जो सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने के लिए हमेशा गंभीर रहते हैं, अब अपने निर्देशों पर काम होते हुए नहीं देख पा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने सरकारी डॉक्टरों को बार-बार चेतावनी दी थी कि वे प्राइवेट अस्पताल नहीं चलाएंगे और ऐसे किसी भी चिकित्सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी चिकित्सक इस निर्देश की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं और निजी अस्पतालों का संचालन कर रहे हैं।
सरकारी चिकित्सकों की मनमानी जारी
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय में करीब दर्जन भर प्राइवेट अस्पतालों का संचालन बिना किसी रोक-टोक के हो रहा है। इन अस्पतालों में सरकारी चिकित्सक दोपहर 2 बजे के बाद अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद खुलेआम अपने निजी अस्पतालों का संचालन करते हैं। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब स्वास्थ्य प्रशासन कभी-कभी इन अवैध अस्पतालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही की खानापूर्ति करता है, लेकिन इस कार्यवाही का कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता।
कानूनी कार्यवाही के बावजूद ढील
पिछले एक साल में एसडीएम खलीलाबाद और डिप्टी सीएमओ ने जिला मुख्यालय पर स्थित तीन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की थी, लेकिन उसके बाद से स्वास्थ्य प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अभियान की कड़ी कार्रवाई के बावजूद, प्राइवेट अस्पताल संचालक प्रशासन को कोई डर नहीं मानते और मनमानी तरीके से अपना व्यवसाय जारी रखते हैं। शासन की कड़ी चेतावनियों के बावजूद यह अवैध अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं, जिससे सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों की गंभीरता
स्वास्थ्य मंत्री बृजेश कुमार पाठक ने कई बार यह स्पष्ट किया था कि सरकारी चिकित्सक जो प्राइवेट अस्पताल चलाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। लेकिन, स्थिति यह है कि इस प्रकार के सरकारी चिकित्सकों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। स्वास्थ्य प्रशासन की उदासीनता और कानूनी कार्यवाही की ढील के कारण यह समस्या और भी बढ़ती जा रही है।
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर कार्रवाई के प्रयासों के बावजूद, प्राइवेट अस्पताल संचालकों और सरकारी चिकित्सकों की बढ़ती मनमानी पर कोई ठोस असर नहीं दिख रहा है। शासन और स्वास्थ्य प्रशासन को अब इस गंभीर मुद्दे पर जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहतर हो सके और अवैध प्राइवेट अस्पतालों पर काबू पाया जा सके।
नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर
इस स्थिति का सबसे बुरा असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है, जो सरकारी अस्पतालों की कमी और अव्यवस्था के कारण उचित उपचार से वंचित रह जाते हैं। यदि सरकार और स्वास्थ्य प्रशासन इस दिशा में कठोर कदम नहीं उठाते हैं, तो यह स्थिति और भी खराब हो सकती है, जिससे प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
What's Your Reaction?






