बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: माता-पिता के वैवाहिक विवाद के कारण नाबालिग का पासपोर्ट और विदेश यात्रा का अधिकार नहीं छीना जा सकता
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि माता-पिता के बीच चल रहे वैवाहिक विवाद के कारण नाबालिग के पासपोर्ट प्राप्त करने और विदेश यात्रा करने के अधिकार को नहीं छीना जा सकता। यह निर्णय अदालत ने एक 17 वर्षीय लड़की के पासपोर्ट आवेदन पर सुनाया, जिसे उसके पिता द्वारा आपत्ति लगाने के कारण नकार दिया गया था।

पासपोर्ट के आवेदन पर अदालत का आदेश
बुधवार को पारित अपने आदेश में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर उस 17 वर्षीय लड़की को पासपोर्ट जारी करे। कोर्ट ने इस मामले को संवैधानिक दृष्टिकोण से देखा और कहा कि विदेश यात्रा का अधिकार संविधान में गारंटीकृत मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है, जिसे नकारा नहीं किया जा सकता, भले ही माता-पिता के बीच विवाद चल रहा हो।
पासपोर्ट आवेदन पर आरपीओ का आपत्ति नोटिस
यह मामला तब सामने आया जब पुणे के आरपीओ ने नवंबर 2024 में लड़की की मां को एक संदेश जारी किया। इसमें कहा गया था कि उसके पासपोर्ट आवेदन पर तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जब तक कि उसके पिता की आपत्ति का समाधान नहीं हो जाता। यह कदम आरपीओ ने उस समय उठाया था जब लड़की के पिता ने उसकी विदेश यात्रा पर आपत्ति जताई थी।
कोर्ट का दृष्टिकोण
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया कि नाबालिग के पासपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार उसके माता-पिता के विवाद से प्रभावित नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि यह अधिकार न केवल एक व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, बल्कि एक मौलिक अधिकार भी है, जिसे संविधान के तहत संरक्षित किया गया है। इस अधिकार का उल्लंघन किसी भी वैवाहिक विवाद या आपत्ति के कारण नहीं किया जा सकता है।
अदालत की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा, "विदेश यात्रा का अधिकार केवल यात्रा करने का अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक बुनियादी अधिकार है जो प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है। यह अधिकार नाबालिगों के लिए भी लागू होता है और किसी भी अन्य कानूनी विवाद के आधार पर इसे छीना नहीं जा सकता।"
भविष्य के लिए निर्देश
अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में, जहां पासपोर्ट आवेदन पर विवाद होता है, संबंधित अधिकारियों को उचित और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि नाबालिगों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि वैवाहिक विवादों को बच्चों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह फैसला विदेश यात्रा करने के अधिकार को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता, चाहे उनके माता-पिता के बीच कोई भी विवाद हो।
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