UP Shikshamitra: यूपी शिक्षा मित्रों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने किया ऐलान
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के छठे दिन मंगलवार को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षामित्रों के मानदेय में फिलहाल कोई बढ़ावा नहीं किया जाने का दावा किया है। हालांकि, उन्होंने इस दौरान एक राहत की खबर भी दी और कहा कि आगामी शिक्षा सत्र में शिक्षामित्रों को उनके मर्जी का तबादला मिल सकेगा। इस पर विपक्षी दलों ने जमकर सवाल उठाए, जिसके बाद सदन में तकरार देखने को मिली।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के छठे दिन मंगलवार को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षामित्रों के मानदेय में फिलहाल कोई बढ़ावा नहीं किया जाने का दावा किया है। हालांकि, उन्होंने इस दौरान एक राहत की खबर भी दी और कहा कि आगामी शिक्षा सत्र में शिक्षामित्रों को उनके मर्जी का तबादला मिल सकेगा। इस पर विपक्षी दलों ने जमकर सवाल उठाए, जिसके बाद सदन में तकरार देखने को मिली।
शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ेगा
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने विधानसभा में यह स्पष्ट किया कि फिलहाल प्रदेश में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में जब भाजपा की सरकार आई थी, तब शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 रुपये था, जिसे उनकी सरकार ने बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया था। मंत्री ने कहा, "हम शिक्षामित्रों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, और उनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।"
शिक्षामित्रों को मिलेगा उनकी मर्जी का तबादला
मंत्री ने शिक्षामित्रों को राहत देते हुए कहा कि अगले शिक्षा सत्र से प्रदेश में सभी शिक्षामित्रों को उनके पसंदीदा स्थानों पर तबादला करने का विकल्प दिया जाएगा। इससे शिक्षामित्रों को भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी और वे अपने काम में बेहतर तरीके से संलग्न हो सकेंगे। मंत्री का कहना था, "शिक्षामित्रों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।"
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सपा के सवालों का जवाब
सपा सदस्य डॉ. आरके वर्मा ने शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर सवाल उठाया और इसकी तुलना मंत्री के घर के कुत्ते टहलाने वाले कर्मचारी से कर दी। उन्होंने कहा कि "जो व्यक्ति मंत्री के कुत्तों को सैर कराता है, उसे 20,000 रुपये महीना मिलता है, वहीं जो शिक्षामित्र बच्चों को शिक्षा दे रहा है, उसे 10,000 रुपये दिए जाते हैं। यह कहां का न्याय है?" इस बयान के बाद सदन में हंगामा मच गया।
संदीप सिंह का कड़ा जवाब
मंत्री संदीप सिंह ने डॉ. वर्मा के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे शिक्षामित्रों का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने शिक्षामित्रों का अपमान किया हो। "सपा के शासनकाल में भी शिक्षामित्रों के साथ अनदेखी की गई थी। विपक्ष को चाहिए कि वे सदन में खड़े होकर शिक्षामित्रों से माफी मांगें," मंत्री ने कहा।
शिक्षा में सुधार की दिशा में कदम
सपा सदस्य समरपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों की स्थिति पर सवाल उठाया और राज्य में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने उदाहरण के तौर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली के स्कूलों को आधुनिक बनाने के प्रयासों का हवाला दिया।
इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों की स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उनकी सरकार ने मिशन कायाकल्प शुरू किया और 16 बिंदुओं पर स्कूलों का सुधार किया। अब सभी बेसिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 13,250 स्कूलों में शिक्षा दी जा रही है।
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विधानमंडल के इस सत्र में शिक्षामित्रों के मानदेय और प्रदेश में शिक्षा सुधारों को लेकर गहन बहस हुई। मंत्री संदीप सिंह ने सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए शिक्षामित्रों के लिए कई योजनाओं का जिक्र किया, हालांकि विपक्षी दलों के आरोपों और सवालों के बाद सदन में तकरार देखने को मिली। यह तय है कि अगले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में शिक्षा और शिक्षामित्रों के मानदेय के मुद्दे पर और भी चर्चाएं जारी रहेंगी।
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