चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव की अदालत से जमानत का इनकार, इस्कॉन ने जताई चिंता

हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की चटगांव अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद, इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) ने अदालत के इस निर्णय को दुखद बताते हुए प्रतिक्रिया दी है। चिन्मय दास के खिलाफ देशद्रोह का आरोप है, और पिछले 40 दिनों से वह बांग्लादेश की जेल में बंद हैं।

Jan 2, 2025 - 16:37
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चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव की अदालत से जमानत का इनकार, इस्कॉन ने जताई चिंता

बांग्लादेश 1जनवरी: हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की चटगांव अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद, इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) ने अदालत के इस निर्णय को दुखद बताते हुए प्रतिक्रिया दी है। चिन्मय दास के खिलाफ देशद्रोह का आरोप है, और पिछले 40 दिनों से वह बांग्लादेश की जेल में बंद हैं।

इस्कॉन का बयान: वकील का पक्ष सुनने का स्वागत

गुरुवार को इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा, "यह दुखद है कि चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया। हमें उम्मीद थी कि नए साल में उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।" राधारमण दास ने बताया कि सुनवाई के दौरान एक सकारात्मक पहलू यह रहा कि अदालत में इस बार चिन्मय दास के वकील को उनका पक्ष रखने का अवसर मिला। इससे पहले की सुनवाई में वकीलों को इस प्रकार का मौका नहीं मिला था, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव था।

चिन्मय कृष्ण दास की तबीयत को लेकर चिंता

राधारमण दास ने चिन्मय कृष्ण दास की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, "चिन्मय दास की तबीयत ठीक नहीं है, और हमें उम्मीद थी कि अदालत इस आधार पर उन्हें जमानत देगी।" वह यह भी चाहते थे कि अदालत चिन्मय की स्वास्थ्य स्थिति और उनके धार्मिक कार्यों को ध्यान में रखते हुए जमानत की मंजूरी दे, लेकिन अदालत ने इस आधार पर कोई राहत नहीं दी। इस्कॉन प्रवक्ता ने यह भी बताया कि अब चिन्मय कृष्ण दास के वकील बांग्लादेश की उच्च अदालत में जमानत याचिका दायर करेंगे और उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्च अदालत में सुनवाई के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चिन्मय के वकीलों को कोर्ट परिसर में और बाहर पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगी।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जेल में 40 दिन

चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन पर देशद्रोह का आरोप है, लेकिन यह आरोप और उनकी गिरफ्तारी अभी तक विवादों में बनी हुई है। चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की जेल में 40 दिन हो चुके हैं और गुरुवार को उन्हें वर्चुअली अदालत में पेश किया गया। इसके बावजूद चटगांव की अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। यह कदम तब उठाया गया जब चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने उनके खिलाफ आरोपों को गलत बताया था और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की थी।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले: हिंदू समुदाय की बढ़ती चिंता

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के पीछे बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव को भी देखा जा रहा है। जुलाई और अगस्त 2024 के बीच बांग्लादेश में छात्रों का एक बड़ा आंदोलन भड़का था, जो बाद में हिंसक हो गया। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना को अगस्त में देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में मोहम्मद यूनुस ने शपथ ली। यूनुस के शासन के दौरान, विशेष रूप से हिंदू समुदाय के पूजास्थल और संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया है।

किसी बड़े साजिश का शक

कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का बढ़ना, एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की नीतियां और अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रही हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी चिंता पैदा कर दी है।

आगे की रणनीति: उच्च अदालत में याचिका

चिन्मय कृष्ण दास के वकील अब बांग्लादेश की उच्च अदालत में याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं। इस कदम से उनकी रिहाई की संभावना बन सकती है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि अदालत के अंदर और बाहर उनके वकीलों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि सुनवाई बिना किसी रुकावट के हो सके।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनकी जमानत याचिका का खारिज होना बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक तनाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव की ओर इशारा करता है। हालांकि, इस्कॉन और चिन्मय दास के समर्थक इस संघर्ष को कानूनी रूप से आगे बढ़ाने का आश्वासन दे रहे हैं। इस दौरान, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और उच्च न्यायालय की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण साबित होगी।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.