ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज की अदालत में लंबित मुकदमों की सुनवाई टली: अगली सुनवाई 4 जनवरी को
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज संजीव पाण्डेय की अदालत में लंबित मुकदमों की सुनवाई शनिवार को टल गई। जज के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अब इन मुकदमों की अगली सुनवाई 4 जनवरी, 2024 को होगी। यह मामला ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित शिवलिंग को लेकर उठे विवाद से संबंधित है।
वाराणसी, 21 दिसंबर: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज संजीव पाण्डेय की अदालत में लंबित मुकदमों की सुनवाई शनिवार को टल गई। जज के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अब इन मुकदमों की अगली सुनवाई 4 जनवरी, 2024 को होगी। यह मामला ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित शिवलिंग को लेकर उठे विवाद से संबंधित है।
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग पर आपत्तिजनक पोस्ट: दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग को लेकर इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. रतन लाल की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। डा. रतन लाल ने प्राथमिकी को रद करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया।
कोर्ट की टिप्पणियां: समाज के सद्भाव में अशांति पैदा करने का आरोप
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने डा. रतन लाल की याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया प्रोफेसर ने समाज के सद्भाव में अशांति पैदा की और उनकी पोस्ट समाज के एक बड़े वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआइआर दर्ज होने के बावजूद भी प्रोफेसर ने उस विषय पर टिप्पणी की, जो यह साबित करता है कि उनकी टिप्पणी विवादित और समाज में तनाव पैदा करने वाली थी।
एक इतिहासकार और शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी पर जोर
आदर्श व्यक्तित्व पर अधिक सचेत रहने की आवश्यकता कोर्ट ने कहा कि एक इतिहासकार और शिक्षक के रूप में डा. रतन लाल की समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि वे आम जनता के लिए एक आदर्श हैं। इस भूमिका में उन्हें अपनी टिप्पणियों को लेकर अधिक सचेत रहना चाहिए, क्योंकि उनके बयान समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि समाज में कोई अशांति या वैमनस्य उत्पन्न होने पर प्राथमिकी को रद करने का आधार नहीं हो सकता।
बुद्धिजीवियों के लिए विशेष जिम्मेदारी
कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी मान्यता पर भी ध्यान दिया और कहा कि किसी भी बुद्धिजीवी को समाज में इस प्रकार की टिप्पणियां या पोस्ट करने का अधिकार नहीं है, जो दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत करें। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि समाज में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी विशेष रूप से शिक्षकों और बुद्धिजीवियों की होती है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आगे की सुनवाई और डा. रतन लाल के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर न्यायालय की टिप्पणियों से स्पष्ट है कि समाज में सद्भाव बनाए रखना और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना सभी की जिम्मेदारी है, खासकर उन व्यक्तित्वों की जिनका समाज पर प्रभाव होता है।
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