आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर उठाए सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में छात्रों को केवल नियमों और प्रतिबंधों से निपटने के बजाय, उन्हें सीखने और विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। भागवत का मानना है कि शिक्षा प्रणाली को छात्रों को सशक्त बनाने के साधन के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल एक नियामक के रूप में।

Dec 21, 2024 - 11:25
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर उठाए सवाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में छात्रों को केवल नियमों और प्रतिबंधों से निपटने के बजाय, उन्हें सीखने और विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। भागवत का मानना है कि शिक्षा प्रणाली को छात्रों को सशक्त बनाने के साधन के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल एक नियामक के रूप में।

शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य: सशक्तिकरण

भागवत ने कहा, "शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना होना चाहिए, बल्कि उन्हें जीवन में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का होना चाहिए।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा व्यवस्था का मुख्य ध्यान छात्रों को आवश्यक कौशल, सोचने की क्षमता और जीवन की चुनौतियों से निपटने की ताकत प्रदान करना होना चाहिए। शिक्षा को नियमों और प्रतिबंधों से परे, एक विकासात्मक और सशक्तिकरण की प्रक्रिया के रूप में देखे जाने की आवश्यकता है।

नई शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना

आरएसएस प्रमुख ने भारतीय सरकार द्वारा पेश की गई नई शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना की। भागवत का मानना है कि इस नीति के जरिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह नीति लंबे समय से चल रही चर्चा का परिणाम है, और इसका उद्देश्य देश की शिक्षा व्यवस्था को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।

मूल्य-आधारित शिक्षा की आवश्यकता

भागवत ने इस बात की ओर भी इशारा किया कि कई स्कूलों में पहले से ही मूल्य-आधारित शिक्षा दी जा रही है। उनका कहना था कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी शिक्षा में केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी समाहित करें, ताकि छात्रों में नैतिक और सामाजिक जागरूकता का विकास हो सके।

समय के साथ बदलाव जरूरी

आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि समय के साथ हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की आवश्यकता है, लेकिन यह बदलाव करते समय हमें अपने मूल्यों और परंपराओं से जुड़े रहना चाहिए। उनका मानना है कि शिक्षा प्रणाली को समय के अनुसार किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें भारतीय संस्कृति और मूल्यों की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

नई शिक्षा नीति का भविष्य

भागवत ने आशा जताई कि नई शिक्षा नीति पूरी तरह से लागू की जाएगी और यह देश को एक बेहतर और समृद्ध भविष्य की दिशा में ले जाएगी। उनका मानना था कि यदि हम शिक्षा प्रणाली को सही दिशा में परिवर्तित करते हैं, तो यह न केवल छात्रों की शिक्षा में सुधार करेगा, बल्कि समाज के हर वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाएगा।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से स्पष्ट है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, और नई शिक्षा नीति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति भारतीय शिक्षा को आधुनिक समय के अनुरूप ढालने का प्रयास है, साथ ही इसमें भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को भी बनाए रखने की बात की गई है।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.