Delhi Election Result 2025: केजरीवाल की 'ईमानदार' छवि को धक्का, बीजेपी की प्रचंड जीत...

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आखिरकार आ गए, और दिल्ली में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता की गाड़ी का पहिया पलटने के साथ, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी 'आम आदमी पार्टी' (आप) को करप्शन और विफलता के आरोपों ने बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया। केजरीवाल, जो कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते थे, अब खुद इसी मुद्दे पर घिरे हुए नजर आए। इस रिपोर्ट में हम जानते हैं उन 10 बड़ी वजहों को, जिन्होंने केजरीवाल और उनकी पार्टी से दिल्ली की कुर्सी छीन ली।

Feb 8, 2025 - 19:03
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Delhi Election Result 2025: केजरीवाल की 'ईमानदार' छवि को धक्का, बीजेपी की प्रचंड जीत...
10 सालों बाद आप के हाथों से छूटी दिल्ली
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आखिरकार आ गए, और दिल्ली में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता की गाड़ी का पहिया पलटने के साथ, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी 'आम आदमी पार्टी' (आप) को करप्शन और विफलता के आरोपों ने बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया। केजरीवाल, जो कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते थे, अब खुद इसी मुद्दे पर घिरे हुए नजर आए। इस रिपोर्ट में हम जानते हैं उन 10 बड़ी वजहों को, जिन्होंने केजरीवाल और उनकी पार्टी से दिल्ली की कुर्सी छीन ली।

 शराब घोटाले ने 'ईमानदार' छवि को धूल में मिला दिया

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में एक नई शराब नीति लागू की थी, जिसे उन्होंने युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए पेश किया। लेकिन इस नीति के साथ विवाद जुड़ने में देर नहीं लगी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति पर सवाल उठाए और केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच कराने की मांग की। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों ने केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मामले दर्ज किए। मार्च 2024 में उन्हें गिरफ्तार किया गया, जिससे उनकी 'ईमानदार' छवि को तगड़ा झटका लगा। बीजेपी ने इस घोटाले को चुनावी मुद्दा बनाकर केजरीवाल की छवि को ध्वस्त कर दिया।

10 साल तक सत्ता में रहने के बाद एंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर

दिल्ली की जनता को बदलाव की उम्मीद थी। 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद जनता में बदलाव की इच्छा स्वाभाविक थी। केजरीवाल को तीन बार लगातार दिल्ली की कुर्सी पर बिठाया गया था, लेकिन अब जनता बदलाव के मूड में थी। बीजेपी ने इस एंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर को अपने पक्ष में किया और डबल इंजन सरकार के वादे को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। इसके परिणामस्वरूप बीजेपी को बड़ी जीत मिली।

'शीशमहल' ने तोड़ी केजरीवाल की मफलर वाली छवि

अरविंद केजरीवाल की शुरुआत मफलर, स्वेटर और आम आदमी की छवि से हुई थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी जीवनशैली में बदलाव आ गया। उन्हें सरकारी बंगले में आलीशान बदलाव करने के आरोपों का सामना करना पड़ा। उन्होंने सरकारी आवास पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए, जो बीजेपी ने जनता के सामने उजागर किया। इसने केजरीवाल की आम आदमी वाली छवि को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और उनकी छवि पर गंभीर असर डाला।

जहरीली यमुना और केजरीवाल का वादा

केजरीवाल ने 2020 में यमुना नदी को साफ करने का वादा किया था, लेकिन चुनाव के दौरान भी यमुना की स्थिति जस की तस बनी रही। छठ पूजा के दौरान यमुना की गंदगी पूरे देश ने देखी। इसके बावजूद, केजरीवाल के बचाव तर्क जैसे "कोविड-19 और जेल में रहने की वजह से काम नहीं कर पाए" जनता को संतुष्ट नहीं कर पाए। बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाकर केजरीवाल को घेरा।

पीएम मोदी Vs केजरीवाल: बीजेपी का मोदी मैजिक

पीएम मोदी ने इस बार दिल्ली चुनावों में सक्रिय रूप से भाग लिया और पांच रैलियां कीं। इन रैलियों का प्रभाव दिखा, क्योंकि बीजेपी को कुल 40 में से करीब 30 सीटों पर जीत हासिल हुई। मोदी ने अपनी रैलियों में विकास, सुरक्षा और जनता की जरूरतों को प्रमुखता से रखा, जो मतदाताओं पर सकारात्मक असर डालने में सफल हुआ।
बीजेपी की घोषणाएं, 'आप' के वादों पर भारी पड़ीं

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में हर महिला को 2100 रुपये देने का वादा किया था, वहीं बीजेपी ने 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया। इसके अलावा, केजरीवाल की शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के मुकाबले बीजेपी ने बड़ा वादा किया, जिसमें केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा और अन्य फायदे शामिल थे। बीजेपी की घोषणाएं आम आदमी पार्टी के वादों से कहीं अधिक आकर्षक और कार्यान्वित होती दिखीं।

प्रवेश वर्मा को सीएम फेस के रूप में प्रोजेक्ट करना

बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को अघोषित रूप से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया। वे पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, और जाट वर्ग में अपनी मजबूत पहचान रखते हैं। बीजेपी ने जाटों और अन्य वर्गों को अपनी ओर खींचने के लिए उन्हें आगे बढ़ाया। उनकी रणनीति के कारण बीजेपी को फायदा हुआ।

मिडिल क्लास के लिए ऐतिहासिक घोषणाएं

बीजेपी ने दिल्ली के मिडिल क्लास को खुश करने के लिए बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट देने की घोषणा की। इसके साथ ही, आठवें वेतन आयोग के गठन की बात भी की गई, जिससे सरकारी कर्मचारियों और मिडिल क्लास को फायदा होने की उम्मीद थी। इन घोषणाओं ने बीजेपी के पक्ष में लहर बनाई,और केजरीवाल की घोषणाएं इनसे पिछड़ गईं।
बीजेपी का मजबूत चुनावी प्रबंधन और 'आप' छोड़ते नेता

चुनाव से पहले 'आप' के कई प्रमुख नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन में पूरी ताकत झोंकी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने चुनावी प्रचार में अहम भूमिका निभाई। वहीं, 'आप' का चुनावी प्रबंधन अपेक्षाकृत कमजोर रहा।

केजरीवाल की 'रेवड़ी पर चर्चा' पर बीजेपी की घोषणाएं

पीएम मोदी ने रेवड़ी कल्चर पर बार-बार हमला बोला था, लेकिन इस बार बीजेपी ने केवल आलोचना नहीं की, बल्कि अपनी घोषणाओं के जरिए यह दिखाया कि वे सरकारी योजनाओं को बंद नहीं करेंगे। उनके इस संदेश का प्रभाव मतदाताओं पर पड़ा, जो 'आप' की रेवड़ी संस्कृति से नाखुश थे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी की जीत कई महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित रही। जहां एक तरफ केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए भ्रष्टाचार और विफलता बड़े मुद्दे बने, वहीं बीजेपी की मजबूत चुनावी रणनीति, घोषणा पत्र और पीएम मोदी का नेतृत्व निर्णायक साबित हुआ। इन कारणों से दिल्ली की जनता ने बदलाव का समर्थन किया, और बीजेपी को फिर से सत्ता सौंप दी।

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Prashant Singh Journalism Student University Of Lucknow.