मायावती ने अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को बसपा से निष्कासित किया, लिया बड़ा निर्णय
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ और मेरठ के पूर्व सांसद नितिन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने यह फैसला इन नेताओं द्वारा चेतावनियों के बावजूद गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण लिया।

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ और मेरठ के पूर्व सांसद नितिन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने यह फैसला इन नेताओं द्वारा चेतावनियों के बावजूद गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण लिया।
मायावती का ट्वीट
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ट्वीट कर इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद श्री नितिन सिंह, ज़िला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
अशोक सिद्धार्थ: बसपा के दिग्गज नेता
अशोक सिद्धार्थ, मायावती के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं। वह कायमगंज (फर्रुखाबाद) के निवासी हैं और मायावती के कहने पर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर बसपा जॉइन किया था। वह वामसेफ से जुड़ी गतिविधियों में भी सक्रिय थे और सरकारी सेवा के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे। बसपा में शामिल होने के बाद, उन्होंने 2009 और 2016 में एमएलसी (Member of Legislative Council) का चुनाव भी जीता।
बसपा में अहम पदों पर रहे अशोक सिद्धार्थ
अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी के कानपुर-आगरा जोनल कोऑर्डिनेटर के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं और कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल जैसे पांच राज्यों के प्रभारी रहे। इसके अलावा, वह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं।
नितिन सिंह की निष्कासन वजह
पूर्व सांसद नितिन सिंह, जो मेरठ जिले से आते हैं, को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित किया गया है। दोनों नेताओं के खिलाफ पार्टी की चेतावनियों के बावजूद उनकी गतिविधियां जारी रही, जिसके बाद मायावती ने यह कठोर कदम उठाया।
बसपा के लिए एक बड़ा झटका
इन दो नेताओं को पार्टी से निकाले जाने के बाद बसपा में भीतर की राजनीति और गुटबाजी को लेकर चिंता और बढ़ सकती है, क्योंकि यह फैसला पार्टी के अंदर की स्थिति को प्रभावित कर सकता है। बसपा को उम्मीद है कि इस कदम से पार्टी के अनुशासन में सुधार होगा और पार्टी के हित में कार्य किया जाएगा।
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