जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी का डीएम को नोटिस: कुएं का स्वरूप बदलने का प्रयास न करें
जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने जिलाधिकारी (डीएम) को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें मस्जिद की पूर्वी दीवार के नीचे स्थित प्राचीन कुएं का स्वरूप बदलने के प्रयासों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली के द्वारा भेजे गए इस नोटिस में कहा गया है कि यह कुआं मस्जिद की मिल्कियत है और मुस्लिम समाज द्वारा वजु (नमाज से पहले की शुद्धि) के लिए उपयोग किया जाता है। इस कुएं में पानी की आपूर्ति के लिए एक मोटर भी लगी हुई है, और इसका इस्तेमाल सदियों से मुस्लिम समुदाय द्वारा पूजा और इबादत के उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है।
दिल्ली (17 दिसंबर 2024): जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने जिलाधिकारी (डीएम) को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें मस्जिद की पूर्वी दीवार के नीचे स्थित प्राचीन कुएं का स्वरूप बदलने के प्रयासों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली के द्वारा भेजे गए इस नोटिस में कहा गया है कि यह कुआं मस्जिद की मिल्कियत है और मुस्लिम समाज द्वारा वजु (नमाज से पहले की शुद्धि) के लिए उपयोग किया जाता है। इस कुएं में पानी की आपूर्ति के लिए एक मोटर भी लगी हुई है, और इसका इस्तेमाल सदियों से मुस्लिम समुदाय द्वारा पूजा और इबादत के उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है।
जांच से हो सकती है अराजकता
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस कुएं पर कभी भी किसी गैर-मुस्लिम द्वारा कोई धार्मिक रस्म नहीं की गई है। मस्जिद कमेटी ने चेतावनी दी है कि यदि किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा इस कुएं का स्वरूप बदलने का प्रयास किया जाता है, तो यह मस्जिद की इन्तजामिया कमेटी की स्वीकृति के बिना अवैध होगा। इसके साथ ही, मस्जिद के बराबर स्थित चबूतरे और कब्रिस्तान के बारे में भी जांच किए जाने की बात सामने आई है, जिसे लेकर मस्जिद कमेटी ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यदि इन स्थलों की जांच की गई तो मुस्लिम समाज को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ेगा और इससे समाज में अकारण असंतोष उत्पन्न हो सकता है।
न्यायालय में विचाराधीन है मामला
इस मामले को लेकर न्यायालय में वाद विचाराधीन है और उच्चतम न्यायालय द्वारा 1991 के उपासना अधिनियम के तहत एक स्थगन आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार, किसी भी पूजा स्थल पर किसी भी प्रकार के सर्वेक्षण, निर्माण, या मरम्मत का कार्य अग्रिम आदेश तक नहीं किया जा सकता है। मस्जिद कमेटी ने चेतावनी दी है कि यदि इस आदेश की अवहेलना की जाती है, तो यह समाज में अशांति पैदा कर सकता है।
अधिवक्ता शकील अहमद वारसी द्वारा भेजे गए इस नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मस्जिद के साथ किसी भी तरह का छेड़छाड़ समाज के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं और यह न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा।
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