नक्सलवाद की दुनिया से लौटे छत्तीसगढ़ के जोयमति वंजान और शंकर मार्कडे
छत्तीसगढ़ के दूरदराज़ इलाकों के आदिवासी समुदाय के दो युवा, जो कभी नक्सलवाद के रास्ते पर चल रहे थे। आज हिंसक दुनिया से निकलकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। इन दोनों का जीवन एक समान रहा है । कक्षा 8 के बाद पढ़ाई छोड़ कर, गरीबी से जूझते हुए नक्सल गतिविधियों में शामिल हो गए, और अब साधारण जीवन जी रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के दूरदराज़ इलाकों के आदिवासी समुदाय के दो युवा, जो कभी नक्सलवाद के रास्ते पर चल रहे थे। आज हिंसक दुनिया से निकलकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। इन दोनों का जीवन एक समान रहा है । कक्षा 8 के बाद पढ़ाई छोड़ कर, गरीबी से जूझते हुए नक्सल गतिविधियों में शामिल हो गए, और अब साधारण जीवन जी रहे हैं।
जोयमति वंजान और शंकर मार्कडे दोनों ही पहले CPI (Maoist) के सदस्य थे और सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों में शामिल रहे थे। वंजान पर कई हमलों का आरोप था, जिसमें उसने सुरक्षा बलों पर हमले किए थे, जबकि मार्कडे भी कई हमलों का हिस्सा रहे थे और कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ में एक प्रमुख कॉर्पोरेट समूह के प्लांट को नष्ट करने वाली नक्सल गतिविधि में शामिल था।
दोनों युवाओं पर 5 लाख रुपये का इनाम था और उनकी गतिविधियों ने उन्हें राज्य के सबसे खतरनाक नक्सलियों में शुमार कर दिया था। लेकिन अब इन दोनों ने अपनी जिंदगी को नई दिशा दी है।
नक्सलवाद से मोहभंग
वंजान और मार्कडे ने अब हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है और आत्मसमर्पण कर दिया है। वे दोनों अब सामान्य जीवन जीने का प्रयास कर रहे हैं और अपने अतीत से बाहर निकलने के लिए राज्य की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। दोनों ने हाल ही में सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया और उनके समर्पण को राज्य सरकार ने सराहा।
चुनी शिक्षा की राह
दोनों युवाओं ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि नक्सलवाद का रास्ता कोई समाधान नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा रास्ता था जिसमें निराशा और हिंसा के सिवा कुछ नहीं था। अब वे अपनी पूरी ताकत से समाज में योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं और उन्होंने युवाओं से हिंसा के बजाय शिक्षा और विकास के रास्ते को अपनाने की अपील की है।
राज्य सरकार का समर्थन
राज्य सरकार ने भी उनके आत्मसमर्पण के बाद उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए जरूरी मदद देने का वादा किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की तरफ से शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसी सुविधाएं दी जाएंगी ताकि वे अपने जीवन को सुधार सकें और समाज में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकें।
प्रेरणादायक कदम
वंजान और मार्कडे की यह यात्रा उन युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है, जो नक्सलवाद की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। उनके इस कदम से यह संदेश मिलता है कि हिंसा का कोई हल नहीं है, बल्कि शांतिपूर्ण जीवन और समाज में योगदान देने का ही असली रास्ता है।
अब, ये दोनों युवा अपनी नई शुरुआत में जुटे हुए हैं और अपने अतीत को पीछे छोड़कर एक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।
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