इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अल-कायदा सदस्य मुसीरुद्दीन की प्रेशर कुकर बम विस्फोट की साजिश के मामले में जमानत खारिज की
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को लखनऊ में प्रेशर कुकर बम विस्फोट की साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार अल-कायदा के सदस्य मुसीरुद्दीन उर्फ राजू की जमानत खारिज कर दी। न्यायालय ने इस मामले में आरोपित की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर है और मुसीरुद्दीन की जमानत दी जाने से सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
इलाहाबाद-उत्तर प्रदेश, 19 दिसंबर: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को लखनऊ में प्रेशर कुकर बम विस्फोट की साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार अल-कायदा के सदस्य मुसीरुद्दीन उर्फ राजू की जमानत खारिज कर दी। न्यायालय ने इस मामले में आरोपित की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर है और मुसीरुद्दीन की जमानत दी जाने से सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
आईईडी बनाने की सामग्री बरामद, सह-आरोपी के साथ खरीदारी की पुष्टि
लखनऊ पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मुसीरुद्दीन के आवास से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) तैयार करने की सामग्री बरामद की गई थी। जांच में यह पाया गया कि मुसीरुद्दीन ने सह-आरोपी मिन्हाज अहमद के साथ मिलकर इन खतरनाक सामग्रियों को बाजार से खरीदा था, जिससे उनकी संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा हुआ। न्यायालय ने इस तथ्य को महत्वपूर्ण माना और इसे जमानत याचिका के खिलाफ एक मजबूत आधार के रूप में प्रस्तुत किया।
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की पीठ का आदेश
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने की। अदालत ने मुसीरुद्दीन की जमानत याचिका को खारिज करते हुए आदेश पारित किया कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जो उसकी जमानत के लिए उपयुक्त नहीं हैं। अदालत ने यह भी माना कि यदि मुसीरुद्दीन को जमानत दी जाती है तो यह समाज और सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
आरोप और मामले की गंभीरता पर न्यायालय की टिप्पणी
न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि आरोपित द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है। अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार के मामलों में जमानत देने से अपराधियों के लिए आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का अवसर मिल सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि अभियुक्त के पास पर्याप्त समय था कि वह किसी भी तरह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता था।
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